जाने नवरात्रों में हर दिन का महत्व व् माँ के सब स्वरुपों की व्याख्या-
Navratri Ke Har Din Ki Vyakhyaa Aur Puja Vidhi
Navdurga ke 9 swaroop
पहले नवरात्रे का दिन
(Navratri Ke Har Din Ki Vyakhyaa Aur Puja Vidhi) माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप को समर्पित है पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री रखा गया, इन्हे नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा माना जाता है इनके इस स्वरुप में बाएं हाथ में कमल का फूल व् दाहिने हाथ में त्रिशूल है इनका विवाह पिछले जन्म में शंकरजी के साथ हुआ था और इनका नाम सति था!
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
माता शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए आप ऊपर दिए मंत्र का उच्चारण १०८ बार करे!
नवरात्रे का दूसरा दिन
इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है यह भी पारवती जी का स्वरुप है, इन्होने शिवजी से शादी करने के लिए हज़ार सालो तक ब्रह्मचारी रहकर कठोर तपस्या की है, जिसके कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी रखा गया! यह श्वेत वस्त्र पहनती है, इनके दाएं हाथ में जपमाला व् बाएं हाथ में कमंडल है, माँ को चीनी का भोग लगता है,साथ ही ब्राह्मण को भी इस दिन चीनी दान करना अच्छा मन जाता है,
दधानां करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डल। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
माता ब्रह्मचारिणी की अपार दृष्टि पाने के लिए ऊपर दिए गए मंत्र का उच्चारण करें !
नवरात्रों का तीसरा दिन
नवरात्रों के चौथे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, यह देवी रूप बहुत सौम्य है, इनका वाहन सिंह है, इनके १० हाथ है और हर हाथ में अलग अलग शस्त्र है, यह असुरीशक्तियों से रक्षा करती है, माँ चन्द्रघण्टा की पूजा करने से सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है!
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
माता चंद्रघंटा की अपार दृष्टि पाने के लिए ऊपर दिए गए मंत्र का उच्चारण करें !
नवरात्रों का चौथा दिन-
चौथे नवराते के दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है, चेहरे पे हल्की मुस्कान लिए, माँ कुष्मांडा की ८ भुजाएं है, इसलिए इन्हे अष्टभुजा माता भी कहा जाता है, इनके पास क्रमशं: कमंडल, धनुष, वाण, कमल-पुष्प, कलश, चक्र, और गद्दा है!
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माँ कुष्मांडा की अपार अनुकम्पा पाना चाहते हो तो ऊपर दिए मंत्र का उच्चारण करें!
नवरात्रे का पांचवा दिन-
नवरात्रे का पांचवा दिन स्कंदमाता को समर्पित है, भगवन (कार्तिक्ये) की माता होने के कारण देवी माँ का नाम स्कंदमाता नाम से पुकारा जाता है, इनकी ४ भुजाएं है, इनकी ऊपर की दाई भुजा में स्कन्द भगवन गोद में बैठें है, निचे वाली दाहिनी भुजा में कमल पुष्प और बाई ऊपर की भुजा में वरमुद्रा है, निचे की भुजा में भी कमल पुष्प है, माँ को कमल पुष्प बहुत प्रिय है इसलिए आप कमल पुष्प जरूर चढ़ाएं! पांचवे दिन की पूजा में श्वेत वस्त्र का उपयोग करें यह दिन बुध ग्रह से सम्बंधित शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम है, माता को केले का भोग लगाए व् ब्राह्मण को केला दान करे इससे परिवार में सुख शांति आएगी!
“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ”
स्कन्दमाता की दया दृष्टि पाने के लिए ऊपर दिए मंत्र का उच्चारण करें!
नवरात्रे का छठा दिन
नवरात्रे के छठे दिन माँ कात्यायिनी की पूजा की जाती है, देवी कात्यायिनी को महिषासुर मर्दानी के नाम से भी जाना जाता है, यह देवी का कन्या स्वरुप है, जो भक्त ऋषि कात्यायन की मुराद पूरी करने के लिए देवी रूप में प्रकट हुई थी, इनकी पूजा भगवन राम और कृष्ण ने भी की थी, इस दिन पूजा में शहद का उपयोग करे! माता को मालपुए का भोग लगाए, देवी माँ प्रसन्न होंगी!
कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥
देवी कात्यायिनी की अपार दया पाने के लिए ऊपर दिए मंत्र का उच्चारण करे!
नवरात्रे का सांतवा दिन–
नवरात्रे के सांतवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है, कालरात्रि माँ के पूजन से शत्रुयों का नाश होता है, इस स्वरुप में, माँ के बाल बिखरे व् गले में मुंड माला रहती है, इसमें माँ की ४ भुजाएं है, इनकी सवारी गधा होती है, और सांस में गर्म अग्नि की ज्वाला निकलती है! कालरात्रि माँ को बेसन के लड्डू और केले का भोग लगाएं व् गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं! पीले रंग का तिकोना झंडा माँ को दान करें!
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
देवी माँ की कृपा चाहते है तो ऊपर दिए मंत्र का उच्चारण पुरे प्रेम भाव व् साफ मन से करे!
नवरात्री का आठवा दिन-
नवरात्रो में आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है! इस दिन भी कुछ लोग कंजक जमाते है और ऐसा मानना है की आठवें नवरात्री का कन्यापूजन ज्यादा फलदायाक माना जाता है! गौरी माँ की पूजा करने से मन पवित्र होता है, इस दिन को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है, ऐसा भी कहना है की माँ g अउरी की आराधना से मनचाहा जीवन साथी भी मिलता है, इस स्वरुप में माँ गौरी के वस्त्र व् आभूषण श्वेत है, माँ की चार भुजाएँ है और माँ की सवारी बैल है!
श्वेते वृषे समारुढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिःमहागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।रत
इस दिन माँ गौरी के व्रत व् पूजन के साथ ऊपर दिए गए मंत्र का उच्चारण फलदायक होता है!
नवरात्री का नौवां दिन-
(Ramnavmi) नवरात्रों में नौवें दिन सिद्धियात्री की पूजा की जाती है! यह दिन महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है, माँ सिद्धियात्री का पूजन करने से मनुष्य के सभी कार्य पूर्ण होते है, इसके अलावा शोक, रोग, व् भय से मुक्ति मिलती है, देवों के देव महा देव भी माँ की पूजा करते है चैत्र मास में नवमी के दिन भगवन राम का जन्म हुआ था इसलिए यह दिन राम नवमी के नाम से भी जाना जाता है सिंह की सवारी करने वाली वाली माँ, इस स्वरुप में कमल के फूल पर विराजमान है, इनकी चार भुजाएँ है जिसमे माँ ने गद्दा, शंक, कमल का फूल व् चक्र धारण किआ है इस नवरात्री राम नवमी के दिन माँ को तिल का भोग लगाए! ऐसा करके हम अपने जीवन में होने वाली अनहोनी से बचाव कर सकते है!
श्वेते वृषे समारुढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरीं शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।
इस दिन माँ सिद्धियात्री के व्रत व् पूजन के साथ ऊपर दिए गए मंत्र का उच्चारण फलदायक होता है!
नवरात्रों का दसवां दिन
(Mahishsur Vaddh) (Dussehra 2020) (durga puja 2020)-यह दिन एक अलग विषेशता रखता है हिन्दुओं के लिए यह दिन बहुत महत्व रखता है इस दिन राम ने रावण का वध किया था और इसी दिन माँ दुर्गा ने भी महिषासुर का संहार किया था इसलिए ऐसा भी मानना है की यह दिन बुराई पे अच्छाई की जीत का प्रतीक है इस दिन अपराजिता देवी, शमी और शास्त्रों का पूजन किया जाता है और हर साल रावण दहन बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है
इस दिन व्यापार व् नए कार्य की शुरुआत करना बड़ा शुभ माना जाता है
इस दिन इलेक्ट्रॉनिक आइटम , वाहन, आभूषण आदि खरीदना भी शुभ माना जाता है
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।/ ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
इस दिन ऊपर दिए गए मंत्र का उच्चारण फलदायक होता है!
पूजा विधि-(navratri puja vidhi)
नवरात्रों का महत्व आप समझ गए यदि आप चाहते है सही तरीके से पूजा अर्चना करना तो जाने कैसे होती है पूजा नवरात्रों में ?
आप घर, आंगन, द्वार व् मंदिर साफ़ करले! सुबह जल्दी उठ कर स्नान करे! पूजा के लिए माता की चौकी ज़मीन पे लड़की पे पटरे/ या टेबल पे लाल कपडा बिछा कर लगाए।
माता की तस्वीर को गंगा जल, दूध, व् शहद से स्नान कराने के बाद मंदिर में रखने से पहले नया चोला पहनाए! अब बाकि सब समान जैसे की नारियल कलश पे रखे व् उसपे चुन्नी लपेट कर ही रखे! माता को फूल माला पहनाए, तिलक लगाए, कलावा बांधे व् चरण स्पर्श करे! अब आप घी का दिया जलाए और धुप जलाकर आंबे माँ की आरती गाए! घर में मौजूद सब लोग साथ में खड़े होकर माता के जय करे लगाए, ऐसा करने से घर की शुद्धि भी होती है, आप चाहे तो धूना भी जला सकते है धूना घर से नकारात्मक ऊर्जा को बहार भगाता है! आरती पूर्ण होने के बाद सब माता के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ले व् आने वाले अच्छे समय के कामना करे!
यदि आप व्रत करना चाहते है तो सुबह की चाय के बाद केवल फल ही खाए! व्रत करने से हमारा मानसिक व् शारीरिक संतुलन बना रहता है, हर दिन यही विधि दोहराए और सच्चे मन से सब दिन पूजा पाठ करे माँ आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण करेंगी !
जय आंबे माँ